Friday, November 07, 2025

हड़प्पा सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता (Indus Valley Civilization/Harappan Civilization)

परिचय (Introduction)

हड़प्पा सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन नगरीय सभ्यताओं में से एक थी।
इस सभ्यता की खोज 1921 ई. में हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान) से और 1922 ई. में मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) से हुई।
इन स्थलों की खुदाई सर जॉन मार्शल के निर्देशन में की गई थी।

यह सभ्यता मुख्य रूप से सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों (रावी, सतलज, घग्गर, सरस्वती, दृषद्वती) के किनारे बसी थी।
इसीलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) कहा गया।

इस सभ्यता का काल लगभग 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. माना जाता है।
यह सभ्यता अत्यंत विकसित, योजनाबद्ध, स्वच्छ एवं संगठित समाज का परिचायक थी।

नगर योजना (Town Planning)

हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता उसकी योजना बद्ध नगर व्यवस्था (Planned Towns) थी।

नगरों की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. सड़कें (Roads):

    • सभी सड़कें एक-दूसरे को समकोण (Right Angle) पर काटती थीं।

    • मुख्य सड़कें चौड़ी और लंबी थीं।

  2. मकान (Houses):

    • मकान पक्की ईंटों (बेक्ड ब्रिक्स) से बने थे।

    • अधिकांश मकान दो मंज़िला थे।

    • हर मकान में आँगन (Courtyard), स्नानघर (Bathroom) और कूप (Well) था।

  3. नाली प्रणाली (Drainage System):

    • यह सबसे अद्भुत और उन्नत प्रणाली थी।

    • हर घर की नालियाँ मुख्य नाली से जुड़ी थीं।

    • मुख्य नाली पक्की ईंटों से बनी थी और ढकी हुई थी।

    • नियमित रूप से सफाई की व्यवस्था थी।

  4. नगर विभाजन (Division of the City):

    • नगर दो भागों में विभाजित था —

      1. ऊँचा दुर्ग क्षेत्र (Citadel): प्रशासनिक और धार्मिक केंद्र।

      2. निचला नगर (Lower Town): सामान्य निवास स्थान।

आर्थिक जीवन (Economic Life)

1. कृषि (Agriculture):

  • मुख्य फसलें – गेहूँ, जौ, कपास, तिल, खजूर, सरसों आदि।

  • कपास का प्रयोग सर्वप्रथम हड़प्पावासियों ने किया था।

  • कृषि के लिए बैलों और लकड़ी के हल का उपयोग होता था।

  • कालीबंगा से हल के निशान मिले हैं।

  • सिंचाई (Irrigation): नहरों, कुओं और तालाबों से की जाती थी।

2. पशुपालन (Animal Husbandry):

  • गाय, बैल, भैंस, बकरी, भेड़, ऊँट, हाथी, कुत्ते और सांड का पालन करते थे।

  • घोड़े के अवशेष लोथल में मिले हैं।

3. उद्योग और शिल्प (Industries and Crafts):

  • कुम्हारी उद्योग: चित्रित मृद्भांड।

  • धातु उद्योग: तांबा, कांसा, सोना, चाँदी और सीसे की वस्तुएँ।

  • मोती निर्माण: कार्नेलियन (लाल पत्थर), फैयेंस और शंख से मोती बनाए जाते थे।

  • वस्त्र उद्योग: सूती वस्त्रों के प्रमाण मिले हैं (कपास के रेशे)।

  • मूर्तिकला: कांस्य की नर्तकी, मूर्तियाँ, खिलौने, पशु प्रतिमाएँ।

4. व्यापार (Trade):

  • आंतरिक एवं बाह्य व्यापार दोनों ही विकसित थे।

  • बंदरगाह स्थल लोथल से जल-व्यापार होता था।

  • मेसोपोटामिया (इराक) से व्यापारिक संबंध थे।

  • व्यापार में तौल, बाट और मुहरें (Seals) प्रयोग में लाई जाती थीं।

मुद्रा और मुहरें (Seals and Currency)

  • धातु के सिक्के नहीं थे।

  • व्यापार में वस्तु-विनिमय प्रणाली (Barter System) का प्रयोग होता था।

  • मुहरें (Seals):

    • इनमें पशुओं की आकृतियाँ (बैल, बाघ, एक-सींग वाला पशु) और चिन्ह बने होते थे।

    • मुहरें स्टीटाइट (Steatite) पत्थर की बनी थीं।

    • मुहरों पर लिपि अंकित है जो अभी तक अपठनीय (Undeciphered) है।

सामाजिक जीवन (Social Life)

  1. समाज संगठित और सभ्य था।

  2. लोगों के पहनावे सरल थे — पुरुष धोती और महिलाएँ लम्बा वस्त्र पहनती थीं।

  3. पुरुष और महिलाएँ दोनों आभूषण पहनते थे – हार, बाली, चूड़ियाँ, पायल आदि।

  4. धनी और गरीब वर्गों के बीच अंतर था।

  5. मनोरंजन हेतु मिट्टी के खिलौने, संगीत और नृत्य के प्रमाण मिले हैं।

धार्मिक जीवन (Religious Life)

  1. माता देवी (Mother Goddess): उर्वरता (Fertility) की देवी के रूप में पूजा होती थी।

  2. पशुपति महादेव: एक मुहर पर योगमुद्रा में बैठे देवता के चित्र से ‘पशुपति शिव’ की कल्पना की जाती है।

  3. वृक्ष पूजा: पीपल और अन्य वृक्ष पूजनीय थे।

  4. पशु पूजा: सांड, सर्प, बाघ आदि की पूजा के प्रमाण हैं।

  5. अग्नि पूजा और जल पूजा: पवित्रता के प्रतीक मानी जाती थी।

  6. मंदिरों का प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है, पर धार्मिक स्थल जैसे ग्रेट बाथ से धार्मिक स्नान की परंपरा का पता चलता है।

कला और स्थापत्य (Art and Architecture)

  1. स्थापत्य कला (Architecture):

    • मकान पक्की ईंटों से बने थे।

    • ‘ग्रेट बाथ’ वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

  2. मूर्तिकला (Sculpture):

    • कांस्य की नर्तकी की मूर्ति (Mohenjodaro) विश्व प्रसिद्ध है।

    • मूँछों वाले व्यक्ति की मूर्ति — याजक (Priest) मानी जाती है।

  3. चित्रकला: मिट्टी के बर्तनों पर चित्र बनाए जाते थे।

राजनीतिक जीवन (Political Life)

  • किसी राजा या शासक का स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला।

  • नगरों की व्यवस्था से यह स्पष्ट होता है कि एक संगठित प्रशासनिक तंत्र था।

  • संभवतः नगर परिषद या पंचायत के समान कोई निकाय शासन करता था।

  • सेना या युद्ध के प्रमाण नहीं हैं — यह शान्तिप्रिय सभ्यता थी।

हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline)

  1. प्राकृतिक आपदाएँ – बार-बार बाढ़ आना, भूकंप आदि।

  2. नदियों का मार्ग बदलना, जिससे कृषि नष्ट हुई।

  3. मिट्टी की उर्वरता घट जाना

  4. आर्यों का आक्रमण सिद्धांत — कुछ विद्वानों के अनुसार आर्यों ने आक्रमण कर नगरों को नष्ट किया।

  5. व्यापारिक और आर्थिक पतन।

  6. जलवायु परिवर्तन – सूखा और गर्मी बढ़ जाना।

लगभग 1750 ई.पू. के बाद यह सभ्यता समाप्त हो गई।

हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएँ (Salient Features)

क्रमांक विशेषता
1 योजनाबद्ध नगर
2 उन्नत जल निकासी व्यवस्था
3 पक्की ईंटों के मकान
4 व्यापारिक मुहरें
5 अपठनीय लिपि
6 धार्मिक आस्थाएँ
7 कला, मूर्तिकला और कुम्हारी में निपुणता
8 शांतिप्रिय समाज
9 प्रशासनिक व्यवस्था
10 अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंध

महत्वपूर्ण विशेषताएँ (Salient Features)

  • योजना बद्ध नगर

  • नालियों की उत्कृष्ट व्यवस्था

  • लेखन प्रणाली (अभी तक अपठनीय)

  • धातु और मिट्टी की कलात्मक वस्तुएँ

  • मुहरों और मूर्तियों से समृद्ध संस्कृति

महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर (Important Questions and Answers)

प्र.1. हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है?

उत्तर: क्योंकि इसके अधिकांश स्थल सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित हैं, इसलिए इसे “सिंधु घाटी सभ्यता” कहा गया।

प्र.2. हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगर कौन-कौन से थे?

उत्तर: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और बनावली इस सभ्यता के प्रमुख नगर थे।

प्र.3. मोहनजोदड़ो से प्राप्त ‘ग्रेट बाथ’ का क्या महत्व है?

उत्तर: ‘ग्रेट बाथ’ धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था। यहाँ लोग सामूहिक स्नान करते थे, जो शुद्धता एवं धार्मिक आस्था का प्रतीक था।

प्र.4. हड़प्पावासियों का प्रमुख व्यवसाय क्या था?

उत्तर: कृषि उनका मुख्य व्यवसाय था। इसके साथ ही वे व्यापार, धातु-उद्योग, कुम्हारी, वस्त्र निर्माण और पशुपालन करते थे।

प्र.5. हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या कारण थे?

उत्तर:

  1. बार-बार की बाढ़ें,

  2. नदी का मार्ग बदलना,

  3. मिट्टी की उर्वरता घटना,

  4. आर्यों का आक्रमण,

  5. व्यापारिक पतन आदि।

प्र.6. ‘मुहरें’ (Seals) हड़प्पा सभ्यता में क्या कार्य करती थीं?

उत्तर: मुहरों का प्रयोग व्यापार, पहचान और प्रशासनिक कार्यों में किया जाता था। इनमें जानवरों और प्रतीकों की आकृतियाँ बनी होती थीं।

प्र.7. हड़प्पा लिपि के बारे में क्या ज्ञात है?

उत्तर: हड़प्पा लिपि अभी तक अपठनीय है। यह चित्रलिपि (Pictographic script) के समान है और बाएँ से दाएँ या दाएँ से बाएँ दोनों दिशाओं में लिखी जाती थी।

प्र.8. हड़प्पावासियों की धार्मिक मान्यताएँ क्या थीं?

उत्तर: वे माता देवी, पशुपति शिव, वृक्षों और पशुओं की पूजा करते थे। वे जल और अग्नि की भी पूजा करते थे।

प्र.9. हड़प्पा सभ्यता की कला के कौन से प्रमाण मिले हैं?

उत्तर: मिट्टी और धातु की मूर्तियाँ, कांस्य की नर्तकी, पशुओं की आकृतियाँ, खिलौने, आभूषण, चित्रित मृद्भांड आदि कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

प्र.10. हड़प्पा सभ्यता का महत्व बताइए।

उत्तर:

  • यह भारत की प्रथम शहरी सभ्यता थी।

  • वैज्ञानिक नगर नियोजन और स्वच्छता का उदाहरण है।

  • कृषि, उद्योग और व्यापार का सुव्यवस्थित रूप मिलता है।

  • यह भारत की सांस्कृतिक एकता की प्राचीन जड़ को दर्शाती है।


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