अध्याय : राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत एवं मौलिक कर्तव्य
भाग 1 : राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
📌 1. परिचय / परिभाषा
राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत संविधान के भाग-IV में दिए गये ऐसे दिशा-निर्देश हैं जिनका उद्देश्य भारत में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय स्थापित करना है। ये सिद्धांत सरकार को नीतियाँ और कानून बनाते समय मार्गदर्शन देते हैं।
ये न्यायालय में लागू नहीं कराए जा सकते, लेकिन राज्य के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण माने जाते हैं ताकि भारत एक कल्याणकारी राज्य बन सके।
📌 2. विशेषताएँ
न्यायोचित नहीं हैं – अदालत में बाध्यकारी नहीं।
सरकार के लिए नैतिक कर्तव्य – नीतियाँ इन्हीं के अनुसार बननी चाहिए।
कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना का आधार।
सभी नागरिकों के जीवन स्तर सुधारने का लक्ष्य।
संविधान की प्रस्तावना को वास्तविक रूप देने का प्रयास।
📌 3. उद्देश्य
✔ गरीबी, असमानता और सामाजिक अन्याय को खत्म करना
✔ शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में सुधार
✔ समाज में समानता और न्याय
✔ लोकतंत्र को सामाजिक-आर्थिक आधार प्रदान करना
✔ नागरिकों का सर्वांगीण विकास करना
📌 4. नीति-निर्देशक सिद्धांतों के प्रमुख प्रकार
1️⃣ समाजवादी सिद्धांत
सभी के लिए समान अवसर
समान कार्य के लिए समान वेतन
गरीबों के लिये सुरक्षा
बच्चों के काम पर रोक
समाज में आर्थिक समानता
2️⃣ गांधीवादी सिद्धांत
ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाना
कुटीर एवं ग्राम उद्योगों को बढ़ावा
शराब एवं नशीली वस्तुओं से दूरी
पशुओं और गौधन का संरक्षण
3️⃣ उदारवादी सिद्धांत
न्याय की समानता
स्वतंत्र न्यायपालिका
राष्ट्रीय स्तर पर एक समान नागरिक संहिता
पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
4️⃣ अंतरराष्ट्रीय शांति संबंधी सिद्धांत
विश्व शांति को बढ़ावा
अच्छे अंतरराष्ट्रीय संबंध बनाए रखना
अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान
📌 5. महत्व
✔ सरकार को जनकल्याणकारी बनाते हैं
✔ सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थापना
✔ नीतियों का वैज्ञानिक और नैतिक आधार
✔ देश को विकसित और आधुनिक बनाने में सहायक
✔ लोकतंत्र की मज़बूती
भाग 2 : मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
📌 1. परिचय
मौलिक कर्तव्य संविधान में अनुच्छेद 51-A में दिए गये हैं। इनका उद्देश्य नागरिकों को राष्ट्र, समाज, पर्यावरण और संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का बोध कराना है।
इनकी कुल संख्या 11 है।
2. मौलिक कर्तव्यों की सूची (सरल भाषा में)
संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का सम्मान करना।
देश की एकता और अखंडता की रक्षा करना।
भारत की रक्षा और राष्ट्रीय सेवा के लिए तत्पर रहना।
सभी नागरिकों के बीच भाईचारा बढ़ाना।
महिलाओं का सम्मान करना और उनका अपमान न होने देना।
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करना।
प्राकृतिक पर्यावरण—वन, झील, नदी, वन्यजीव—की रक्षा और सुधार करना।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता और सुधार की भावना को बढ़ावा देना।
सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और हिंसा से दूर रहना।
अपने कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयत्न करना।
6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा दिलाना (अभिभावकों का कर्तव्य)।
3. विशेषताएँ
सभी नागरिकों पर लागू
नैतिक कर्तव्य
न्यायोचित नहीं, परंतु सामाजिक उत्तरदायित्व
देश-निर्माण और सामाजिक अनुशासन को बढ़ावा देते हैं
महत्व
✔ नागरिकों में जिम्मेदारी और अनुशासन पैदा करते हैं
✔ देश को एकजुट और मजबूत बनाते हैं
✔ लोकतंत्र को नैतिक आधार प्रदान करते हैं
✔ राष्ट्रीय चरित्र और नैतिकता का विकास
✔ पर्यावरण और संस्कृति का संरक्षण
अध्याय का समेकित सार (एक-पंक्ति में उपयोगी)
नीति-निर्देशक सिद्धांत = सरकार के लिए लक्ष्य और दिशा
मौलिक कर्तव्य = नागरिकों के लिए जिम्मेदारी और अनुशासन
महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर (Important Q&A)
✔ प्रश्न 1. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: संविधान के भाग-IV में दिए गए वे मार्गदर्शक सिद्धांत हैं जो सरकार को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय स्थापित करने के लिए नीतियाँ बनाने में दिशा देते हैं। ये न्यायोचित नहीं होते, परंतु देश को कल्याणकारी राज्य बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
✔ प्रश्न 2. नीति निर्देशक सिद्धांतों के दो मुख्य उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
समाज में आर्थिक असमानता को कम करना।
सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करना।
✔ प्रश्न 3. मौलिक कर्तव्य क्या हैं?
उत्तर: मौलिक कर्तव्य नागरिकों के वे नैतिक दायित्व हैं जो राष्ट्र, संविधान, समाज और पर्यावरण के प्रति नागरिक की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करते हैं।
✔ प्रश्न 4. मौलिक कर्तव्यों की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर: नागरिकों के बीच अनुशासन, राष्ट्रीय भावना, देश के प्रति सम्मान, पर्यावरण संरक्षण तथा सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए मौलिक कर्तव्यों को संविधान में शामिल किया गया।
✔ प्रश्न 5. किसी चार मौलिक कर्तव्यों का नाम लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ध्वज और संविधान का सम्मान करना।
देश की रक्षा के लिए तत्पर रहना।
पर्यावरण की रक्षा करना।
सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना।
✔ प्रश्न 6. नीति निर्देशक सिद्धांत और मौलिक कर्तव्यों में दो अंतर लिखिए।
उत्तर:
नीति निर्देशक सिद्धांत सरकार पर लागू होते हैं, जबकि मौलिक कर्तव्य नागरिकों पर।
दोनों ही न्यायालय में लागू नहीं होते, पर नीति निर्देशक सिद्धांत राज्य के कल्याण के लिए मार्गदर्शन देते हैं और मौलिक कर्तव्य नागरिकों में अनुशासन बढ़ाते हैं।
✔ प्रश्न 7. नीति निर्देशक सिद्धांतों को न्यायोचित क्यों नहीं बनाया गया?
उत्तर: क्योंकि कई बार आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण राज्य हर दिशा-निर्देश को तुरंत लागू नहीं कर पाता। इसलिए इन्हें नैतिक एवं नीति-आधारित मार्गदर्शन के रूप में रखा गया।
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