1. संघीय व्यवस्था का अर्थ एवं परिभाषा
संघीय व्यवस्था (Federal System) शासन की वह प्रणाली है जिसमें शासन की शक्तियाँ संविधान द्वारा दो या अधिक स्तरों की सरकारों—मुख्यतः केंद्र सरकार और राज्य सरकारों—के बीच विभाजित कर दी जाती हैं। प्रत्येक स्तर की सरकार अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करती है, लेकिन सभी सरकारें संविधान के अधीन होती हैं।
प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएँ:
के. सी. व्हेयर के अनुसार, “संघीय शासन वह है जिसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकारें संविधान द्वारा स्थापित हों और अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हों।”
मोंटेस्क्यू ने शक्तियों के विभाजन को संघीय व्यवस्था का आधार माना।
👉 संघीय व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एकता और विविधता के बीच संतुलन बनाए रखना है।
2. भारत में संघीय व्यवस्था का विकास
भारत जैसे विशाल और विविधताओं से भरे देश के लिए संघीय व्यवस्था अत्यंत आवश्यक थी। ब्रिटिश शासन काल में भारत सरकार अधिनियम, 1935 में पहली बार संघीय ढाँचे की कल्पना की गई। स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान (1950) में संघीय व्यवस्था को अपनाया गया।
संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत को “राज्यों का संघ (Union of States)” कहा गया है।
3. भारतीय संघीय व्यवस्था का स्वरूप
भारत को न तो पूर्ण रूप से संघीय कहा जा सकता है और न ही पूर्ण रूप से एकात्मक। इसलिए भारत को अर्ध-संघीय (Quasi-Federal) राज्य कहा जाता है।
डॉ. बी. आर. अंबेडकर के अनुसार:
“भारतीय संविधान संघीय है, लेकिन आपातकाल के समय यह एकात्मक बन जाता है।”
4. भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ
(i) लिखित और विस्तृत संविधान
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें केंद्र और राज्यों की शक्तियों का स्पष्ट उल्लेख है।
(ii) संविधान की सर्वोच्चता
संविधान सर्वोच्च है। केंद्र और राज्य दोनों को संविधान के अनुसार कार्य करना होता है।
(iii) शक्तियों का संवैधानिक विभाजन
संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत शक्तियों को तीन सूचियों में बाँटा गया है:
संघ सूची (97 विषय) – रक्षा, विदेश नीति, परमाणु ऊर्जा, रेलवे, मुद्रा
राज्य सूची (66 विषय) – पुलिस, कृषि, जेल, स्वास्थ्य, स्थानीय शासन
समवर्ती सूची (47 विषय) – शिक्षा, वन, विवाह, श्रम कानून
👉 समवर्ती सूची में टकराव की स्थिति में केंद्र का कानून प्रभावी होता है।
(iv) अवशिष्ट शक्तियाँ
जो विषय किसी भी सूची में नहीं आते, उन पर कानून बनाने की शक्ति केंद्र सरकार के पास होती है।
(v) द्वैध शासन प्रणाली
भारत में दो स्तर की सरकारें हैं:
केंद्र सरकार
राज्य सरकारें
(vi) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका
सर्वोच्च न्यायालय संविधान का रक्षक है और केंद्र-राज्य विवादों का समाधान करता है।
(vii) कठोर संविधान
संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति आवश्यक होती है।
5. भारत को अर्ध-संघीय क्यों कहा जाता है?
भारत में संघीय तत्वों के साथ-साथ एकात्मक तत्व भी पाए जाते हैं।
संघीय तत्व:
लिखित संविधान
शक्तियों का विभाजन
स्वतंत्र न्यायपालिका
द्वैध शासन व्यवस्था
एकात्मक तत्व:
एकल संविधान
एकल नागरिकता
राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र द्वारा
आपातकाल में केंद्र की सर्वश्रेष्ठता
अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास
6. केंद्र–राज्य संबंध
(i) विधायी संबंध
संघ, राज्य और समवर्ती सूचियों के माध्यम से कानून निर्माण की शक्तियाँ निर्धारित हैं।
(ii) प्रशासनिक संबंध
कई मामलों में राज्य सरकारें केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करती हैं।
(iii) वित्तीय संबंध
केंद्र प्रमुख कर एकत्र करता है और उनका वितरण राज्यों में करता है।
7. वित्त आयोग
संविधान के अनुच्छेद 280 के अंतर्गत वित्त आयोग का गठन किया जाता है।
कार्य:
केंद्र और राज्यों के बीच करों का वितरण
राज्यों को अनुदान की सिफारिश
8. राज्यपाल की भूमिका
राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और केंद्र व राज्य के बीच सेतु का कार्य करता है।
शक्तियाँ:
मुख्यमंत्री की नियुक्ति
विधेयकों को स्वीकृति
राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
9. आपातकाल और संघीय व्यवस्था
आपातकाल के समय संघीय ढाँचा कमजोर हो जाता है और केंद्र की शक्तियाँ बढ़ जाती हैं।
आपातकाल के प्रकार:
राष्ट्रीय आपातकाल – अनुच्छेद 352
राज्य आपातकाल – अनुच्छेद 356
वित्तीय आपातकाल – अनुच्छेद 360
10. भारतीय संघीय व्यवस्था के लाभ
राष्ट्रीय एकता की रक्षा
प्रशासनिक सुविधा
विविधताओं का सम्मान
लोकतंत्र को मजबूती
11. संघीय व्यवस्था की सीमाएँ
राज्यों की सीमित स्वायत्तता
केंद्र का प्रभुत्व
राजनीतिक टकराव
12. निष्कर्ष
भारतीय संघीय व्यवस्था भारत की विविधताओं को एक सूत्र में बाँधने का कार्य करती है। यद्यपि इसमें केंद्र को अधिक शक्तियाँ दी गई हैं, फिर भी यह व्यवस्था भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश के लिए उपयुक्त है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)
भारतीय संघीय व्यवस्था की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
भारत को अर्ध-संघीय राज्य क्यों कहा जाता है?
संघ सूची और राज्य सूची में अंतर स्पष्ट कीजिए।
राज्यपाल की भूमिका संक्षेप में समझाइए।
समवर्ती सूची का महत्व बताइए।
C. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)
भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
केंद्र–राज्य संबंधों का वर्णन कीजिए।
आपातकाल का भारतीय संघीय व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
भारत में संघीय और एकात्मक तत्वों की विवेचना कीजिए।
उत्तर (Question–Answers)
A. अति लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर
संघीय व्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें शक्तियाँ केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित होती हैं।
अनुच्छेद 1 में।
तीन सूचियाँ।
केंद्र सरकार के पास।
अनुच्छेद 280 में।
B. लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर
1. भारतीय संघीय व्यवस्था की चार विशेषताएँ
भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ हैं – लिखित संविधान, शक्तियों का विभाजन, स्वतंत्र न्यायपालिका तथा द्वैध शासन प्रणाली।
2. भारत को अर्ध-संघीय राज्य क्यों कहा जाता है?
भारत में संघीय व्यवस्था होते हुए भी केंद्र सरकार को अधिक शक्तियाँ प्राप्त हैं। आपातकाल के समय यह व्यवस्था एकात्मक बन जाती है, इसलिए भारत को अर्ध-संघीय कहा जाता है।
3. संघ सूची और राज्य सूची में अंतर
संघ सूची के विषय राष्ट्रीय महत्व के होते हैं जैसे रक्षा और विदेश नीति, जबकि राज्य सूची के विषय स्थानीय महत्व के होते हैं जैसे पुलिस और कृषि।
4. राज्यपाल की भूमिका
राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। वह मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।
5. समवर्ती सूची का महत्व
समवर्ती सूची केंद्र और राज्यों दोनों को कानून बनाने का अधिकार देती है। इससे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय हितों में संतुलन बना रहता है।
C. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर
1. भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ
भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं में लिखित संविधान, शक्तियों का विभाजन, संविधान की सर्वोच्चता, स्वतंत्र न्यायपालिका और द्वैध शासन प्रणाली शामिल हैं। संविधान के अंतर्गत केंद्र और राज्यों की शक्तियाँ स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं।
2. केंद्र–राज्य संबंध
केंद्र और राज्यों के संबंध विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय तीन प्रकार के होते हैं। विधायी संबंध सातवीं अनुसूची पर आधारित हैं, प्रशासनिक संबंधों में केंद्र राज्यों को निर्देश दे सकता है और वित्तीय संबंधों में करों का वितरण किया जाता है।
3. आपातकाल का संघीय व्यवस्था पर प्रभाव
आपातकाल के समय केंद्र सरकार की शक्तियाँ बढ़ जाती हैं और राज्य सरकारों की स्वायत्तता कम हो जाती है। इस स्थिति में संघीय ढाँचा कमजोर होकर एकात्मक रूप ले लेता है।
4. संघीय और एकात्मक तत्व
भारत में संघीय तत्व जैसे लिखित संविधान और शक्तियों का विभाजन पाए जाते हैं, जबकि एकात्मक तत्वों में एकल नागरिकता, राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र द्वारा और आपातकालीन प्रावधान शामिल हैं।
👉 यह अभ्यास प्रश्न और उत्तर NIOS कक्षा 12 की परीक्षा में सीधे पूछे जाने योग्य हैं।
NIOS परीक्षा‑उन्मुख उत्तर लेखन (Exam Oriented Answers)
नीचे दिए गए उत्तर NIOS बोर्ड पैटर्न, अंक विभाजन और मुख्य शब्द (Key Words) को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं।
A. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1–2 अंक)
1. संघीय व्यवस्था क्या है?
उत्तर: संघीय व्यवस्था वह शासन प्रणाली है जिसमें संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच किया जाता है।
मुख्य शब्द: शक्तियों का विभाजन, संविधान, केंद्र–राज्य
2. भारत को ‘राज्यों का संघ’ क्यों कहा गया है?
उत्तर: क्योंकि भारत कई राज्यों से मिलकर बना है और संविधान के अनुच्छेद 1 में इसे राज्यों का संघ कहा गया है।
मुख्य शब्द: अनुच्छेद 1, राज्यों का संघ
B. लघु उत्तरीय प्रश्न (3–4 अंक)
1. भारतीय संघीय व्यवस्था की चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संघीय व्यवस्था की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
लिखित और विस्तृत संविधान
शक्तियों का संवैधानिक विभाजन
स्वतंत्र न्यायपालिका
द्वैध शासन प्रणाली
अंक संकेत: 1 अंक – भूमिका, 3 अंक – बिंदु
2. भारत को अर्ध‑संघीय राज्य क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भारत में संघीय व्यवस्था के सभी गुण पाए जाते हैं, परंतु केंद्र सरकार को अधिक शक्तियाँ प्राप्त हैं। आपातकाल के समय केंद्र का प्रभुत्व बढ़ जाता है और राज्य सरकारों की स्वायत्तता कम हो जाती है। इसलिए भारत को अर्ध‑संघीय राज्य कहा जाता है।
मुख्य शब्द: अर्ध‑संघीय, केंद्र का प्रभुत्व, आपातकाल
C. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8–10 अंक)
1. भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संघीय व्यवस्था का आधार संविधान है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
लिखित संविधान: भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों की शक्तियाँ स्पष्ट रूप से लिखित हैं।
संविधान की सर्वोच्चता: केंद्र और राज्य दोनों संविधान के अधीन कार्य करते हैं।
शक्तियों का विभाजन: सातवीं अनुसूची के अंतर्गत शक्तियों को संघ, राज्य और समवर्ती सूची में बाँटा गया है।
स्वतंत्र न्यायपालिका: सर्वोच्च न्यायालय संविधान की रक्षा करता है।
द्वैध शासन प्रणाली: केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारें कार्य करती हैं।
इस प्रकार भारतीय संघीय व्यवस्था देश की एकता और विविधता में संतुलन बनाए रखती है।
अंक संकेत:
भूमिका – 2 अंक
प्रत्येक बिंदु – 1–1 अंक
निष्कर्ष – 1 अंक
2. आपातकाल का भारतीय संघीय व्यवस्था पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आपातकाल के समय भारतीय संघीय व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार की शक्तियाँ बढ़ जाती हैं और राज्य सरकारों की स्वायत्तता कम हो जाती है। राज्य सूची के विषयों पर भी केंद्र कानून बना सकता है। इस स्थिति में भारत एकात्मक राज्य जैसा हो जाता है।
अतः कहा जा सकता है कि आपातकाल संघीय ढाँचे को अस्थायी रूप से कमजोर कर देता है।
मुख्य शब्द: आपातकाल, केंद्र की शक्तियाँ, एकात्मक स्वरूप
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