Thursday, December 04, 2025

ANSWERS OF IMP CHEMISTRY

अध्याय–1 : विलयन (Solutions)

1. विलयन क्या है? इसके प्रकार लिखिए।

दो या दो से अधिक पदार्थों का समांग मिश्रण विलयन कहलाता है।
प्रकार:

  1. ठोस विलयन (solid in solid)

  2. द्रव विलयन (solid/liquid/gas in liquid)

  3. गैसीय विलयन (gas in gas)

2. मोलरिटी और मोलैलिटी में अंतर

मोलरिटी (M) मोलैलिटी (m)
प्रति लीटर विलयन में घुले विलेय के मोल प्रति किग्रा विलायक में विलेय के मोल
ताप पर निर्भर ताप से स्वतंत्र
इकाई: mol/L इकाई: mol/kg

3. हेनरी का नियम व उपयोग

गैस का द्रव में घुलना उसके आंशिक दाब के प्रत्यक्ष अनुपाती होता है।
P = KH · x
उपयोग: सॉफ्ट ड्रिंक्स में CO₂ दबाव द्वारा घुलाया जाता है।

4. राउल्ट का नियम

विलयन का वाष्प दाब = विलायक के मोल अंश × शुद्ध विलायक का वाष्प दाब
P = X₁ P₁°

5. आदर्श व अनादर्श विलयन में अंतर

आदर्श अनादर्श
राउल्ट का नियम पूर्णतः पालन विचलन पाया जाता है
ΔHmix = 0, ΔVmix = 0 ΔHmix ≠ 0, ΔVmix ≠ 0

6. कोलिगेटिव गुण क्या हैं?

विलयन के वे गुण, जो केवल विलेय कणों की संख्या पर निर्भर होते हैं, प्रकृति पर नहीं।
जैसे– उबलनांक वृद्धि, ह्रासांक अवनमन, आसमाटिक दाब आदि।

7. क्वथनांक वृद्धि का सूत्र

ΔTb = Kb · m
जहाँ Kb = मोलल क्वथनांक स्थिरांक, m = मोलैलिटी
विलेय कणों के बढ़ने से ΔTb बढ़ता है।

8. ह्रासांक अवनमन का सूत्र

ΔTf = Kf · m

अध्याय–2 : वैद्युत-रसायन (Electrochemistry)

1. विद्युत अपघट्य क्या है? प्रकार

वे पदार्थ जो द्रवित या विलयन अवस्था में आयन बनाकर विद्युत प्रवाहित करते हैं—इलेक्ट्रोलाइट
प्रकार:

  1. प्रबल (Strong)

  2. दुर्बल (Weak)

2. गैल्वैनी कोश की रचना व कार्य

यह एक विद्युत-रासायनिक सेल है जिसमें रासायनिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा में बदलती है।
दो भिन्न धातु इलेक्ट्रोड, उनके नमक विलयनों में डूबे, नमक सेतु से जुड़े रहते हैं।
ऑक्सीकरण ऐनोड पर तथा अपचयन कैथोड पर होता है।

3. इलेक्ट्रोलाइटिक व गैल्वैनी कोश में अंतर

गैल्वैनी कोश इलेक्ट्रोलाइटिक कोश
स्वतःस्फूर्त अभिक्रिया गैर-स्वतःस्फूर्त अभिक्रिया
विद्युत ऊर्जा उत्पन्न विद्युत ऊर्जा का उपभोग
ऐनोड (–), कैथोड (+) ऐनोड (+), कैथोड (–)

4. नर्न्स्ट समीकरण

[
E = E^\circ - \frac{0.0591}{n} \log Q
]

5. चालकता व तुल्य चालकता में अंतर

चालकता (κ) मोलर चालकता (Λm)
प्रति मीटर चालकता 1 मोल इलेक्ट्रोलाइट वाले विलयन की चालकता
विलयन पर निर्भर विरलन से बढ़ती है

6. कोलरॉश का नियम व उपयोग

अत्यधिक विरलता पर इलेक्ट्रोलाइट की मोलर चालकता उसका आयन चालकता के योग के बराबर होती है।
उपयोग:

  1. कमजोर इलेक्ट्रोलाइट की Λm∞ ज्ञात करना

  2. विलयन की अपघटन डिग्री ज्ञात करना

अध्याय–3 : रासायनिक गति (Chemical Kinetics)

1. अभिक्रिया की गति

प्रति समय एकाग्रता में परिवर्तन।

2. गति नियम और गति नियतांक में अंतर

गति नियम गति नियतांक
दर और एकाग्रता का संबंध निश्चित ताप पर स्थिर
Rate = k[A]ⁿ[B]ᵐ k = rate constant

3. क्रम व आणविकता में अंतर

क्रम आणविकता
प्रायोगिक सिद्धांतात्मक
भिन्न, शून्य, दशमलव पूर्णांक

4. प्रथम क्रम की अभिक्रिया का एकीकृत समीकरण

k = {2.303/t\log \frac{[A]_0}{[A]}

5. ताप का प्रभाव

ताप बढ़ने से अणुओं की टक्कर दर बढ़ती है, इसलिए गति तेज हो जाती है। Arrhenius समीकरण:

k = A e^{-Ea/RT}

अध्याय–4 : d- एवं f- ब्लॉक तत्व

1. संक्रमण धातुओं के सामान्य गुण

चर ऑक्सीकरण अवस्थाएँ, रंगीन यौगिक, चुंबकत्व, जटिल आयन बनाना, उत्प्रेरक गुण।

2. इनमें रंग क्यों होता है?

d-कक्षकों में इलेक्ट्रॉन संक्रमण (d–d transition) के कारण।

3. लैंथनाइड संकुचन

La(57) से Lu(71) तक परमाणु/आयनिक त्रिज्या में क्रमिक कमी।
प्रभाव:
— d-ब्लॉक तत्वों में समानता
— आयनिक आकार कम
— उच्च कठोरता

4. d-तत्व अच्छे उत्प्रेरक क्यों होते हैं?

आंशिक भरे d–orbitals, परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था, प्रतिक्रिया के मध्यवर्ती बनाते हैं।

अध्याय–5 : उप-संयोजन यौगिक

1. लिगैण्ड, समन्वय संख्या, समन्वय गोला

लिगैण्ड: इलेक्ट्रॉन युग्म दाता समूह
समन्वय संख्या: धातु से जुड़े डोनर परमाणुओं की संख्या
समन्वय गोला: [ ] ब्रैकेट में धातु व लिगैण्ड का भाग

2. IUPAC नामकरण उदाहरण

[Cr(NH₃)₆]Cl₃
नाम: हेक्साअम्मीन क्रोमियम(III) क्लोराइड

3. वर्नर सिद्धांत मुख्य बातें

— धातु की दो संयोजकताएँ: प्राइमरी एवं सेकेंडरी
— लिगैण्ड सेकेंडरी संयोजकता को संतुष्ट करते हैं
— निश्चित ज्यामिति होती है

4. समावयवता

एक ही सूत्र वाले यौगिकों के भिन्न संरचना/ज्यामिति रूप।
जैसे— [Co(NH₃)₄Cl₂]⁺ के सिस–ट्रांस।

अध्याय–6 : हैलोएल्केन्स व हैलोएरिन

1. हैलोएल्केन्स क्या हैं? निर्माण विधियाँ

एल्केन में H के स्थान पर हैलोजन आने से।
विधियाँ:
— हाइड्रोजन/एल्केन का हैलोजनीकरण
— अल्कोहॉल + HX
— हाइड्रोजन हैलाइड ऐडिशन

2. SN1 और SN2 अंतर

SN1 SN2
दो चरण एक चरण
कार्बोकैटायन बनता कार्बोकैटायन नहीं
तृतीयक > द्वितीयक प्राथमिक > द्वितीयक

3. हैलोएरिन कम अभिक्रियाशील क्यों?

C–X बन्ध आंशिक द्वि-बंधन–चरित्र
अरोमैटिक रिंग का रिजोनेंस

4. ग्रिग्नार्ड अभिकर्मक से निर्माण

RX + Mg → RMgX
इसके हाइड्रोलिसिस/ऐडिशन से हैलोएल्केन प्राप्त।

अध्याय–7 : ऐल्कोहॉल, फिनॉल, ईथर

1. ऐल्कोहॉल तैयार करने की विधियाँ

— ऐल्कीन का हाइड्रेशन
— एल्डिहाइड/कीटोन का अपचयन

2. ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण

H₂SO₄ द्वारा जल हटाकर ऐल्कीन बनता है।

3. फिनॉल की अम्लीयता का कारण

फिनॉक्साइड आयन का रिजोनेंस द्वारा स्थिरीकरण

4. विलियमसन संश्लेषण

ROR’ बनाने की विधि:
R–O⁻ Na⁺ + R’–X → R–O–R’ + NaX

अध्याय–8 : ऐल्डिहाइड, कीटोन व कार्बोक्सिलिक अम्ल

1. निर्माण विधियाँ

— प्राथमिक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण → ऐल्डिहाइड
— द्वितीयक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण → कीटोन
— ओज़ोनोलिसिस

2. आल्डोल संघनन

α-H वाले एल्डिहाइड/कीटोन क्षार में → β–हाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड/कीटोन।

3. कैनिज़ारो अभिक्रिया

α-H रहित एल्डिहाइड क्षार में → एक अणु का अपचयन (अल्कोहॉल), दूसरे का ऑक्सीकरण (अम्ल)।

4. कार्बोक्सिलिक अम्ल अधिक अम्लीय क्यों?

कार्बोक्सिलेट आयन का रिजोनेंस स्थिरीकरण

अध्याय–9 : एमीन (Amines)

1. अमीन व वर्गीकरण

NH₃ के H को अल्किल/एरिल समूहों से बदलने पर अमीन।
प्रकार: प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक एवं चतुर्थक अमोनियम लवण।

2. हॉफमैन ब्रॉमामाइड अभिक्रिया

RCONH₂ + Br₂ + KOH → RNH₂ (एक–कार्बन कम)

3. प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक अमीन का अंतर

— 1°, 2°, 3° = कितने H अल्किल/एरिल से बदले।

4. कार्बाइलएमीन परीक्षण

प्राथमिक अमीन + CHCl₃ + KOH → दुर्गन्धयुक्त आइसोसाइनाइड ⇒ केवल 1° अमीन की पहचान।

अध्याय–10 : जैव-अणु (Biomolecules)

1. मोनो, डाइसैकराइड, पॉलीसैकराइड

— मोनो: एक इकाई (ग्लूकोज़)
— डाइ: दो मोनो इकाइयाँ (सुक्रोज़)
— पॉली: अनेक मोनो इकाइयाँ (स्टार्च)

2. अमीनो अम्ल क्या हैं? प्रकार

NH₂ और COOH दोनों युक्त कार्बनिक यौगिक।
प्रकार: मूलक, अम्ली, निरपेक्ष

3. प्रोटीन व पेप्टाइड बन्ध

एमीनो अम्ल के बहुलक = प्रोटीन।
पेप्टाइड बन्ध: –CO–NH– बन्ध।

4. DNA और RNA में अंतर

DNA RNA
डबल हेलिक्स सिंगल स्ट्रैण्ड
डिऑक्सी राइबोज राइबोज
बेस: A,T,G,C A,U,G,C


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